JAB YAD TERI AAI
जब याद तेरी आई
मेरे लिए भला ये कैसी खलिस है
गुरुर था पहले, अब कैसी कसिस है
नजरो को मिलाकर, ढूढूँ हुस्न ये कैसी
नहीं मिलती किसी को चाहत ये ऐसी।
लम्हें हसीन हो जाते हैं , चाहते संगीन
मिल जाए नजर इत्तेफाक सा सीन
अब ढूढ़ता हुँ आसमाँ में तुझको
भा रही सादगी अब मुझको।
सोचता हुँ भुल जाऊँ लम्हो को
मगर नजर में मन के बसा लिया जिसको
सारी रात बीती नींद न आई
करवट बदल-बदल कर रात बीताई।
आखों का जुमला कैसे कहूँ
वो सपनो में आई
बिलख रहा था मन मेरा
.......
भूल गया दिल को याद तेरी आई।
जागेश्वर सिंह 'सिंगरौलिया '
मेरे लिए भला ये कैसी खलिस है
गुरुर था पहले, अब कैसी कसिस है
नजरो को मिलाकर, ढूढूँ हुस्न ये कैसी
नहीं मिलती किसी को चाहत ये ऐसी।
लम्हें हसीन हो जाते हैं , चाहते संगीन
मिल जाए नजर इत्तेफाक सा सीन
अब ढूढ़ता हुँ आसमाँ में तुझको
भा रही सादगी अब मुझको।
सोचता हुँ भुल जाऊँ लम्हो को
मगर नजर में मन के बसा लिया जिसको
सारी रात बीती नींद न आई
करवट बदल-बदल कर रात बीताई।
आखों का जुमला कैसे कहूँ
वो सपनो में आई
बिलख रहा था मन मेरा
.......
भूल गया दिल को याद तेरी आई।
जागेश्वर सिंह 'सिंगरौलिया '
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