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Showing posts from November, 2017

SOCHATA HU

          सोचता हूँ .....            सोचता हूँ गर  एक  तरफ बढ़ा तो,   दुसरा छूट जाएगा   अपने सपने साकार करने में,  जाने किसका सपना टुट  जाएगा।     शायद  दुनिया में   कहने को   एक नया  परवाना मिल जाएगा ।।   कहूँ  किससे अपने दिल की बातें ;   मायूस  पड़ी वो  जज्बातेँ ;  माँ -पापा  या  भैया से    फिर भी कह न पाउँगा   जो दिल चाहता है।     रह न पाउँगा ,कह भी न पाउँगा    शायद कहने में   अवहेलना का डर  लगता है  आज चाँद का ठिकाना भी,  गुजर- बसर का घर   लगता  है   एक क्षण जी में आता है  दुनिया की हर उस सत्य को  सामने ला दूँ ;   जो मैंने छुपा रखे है, मन में  संवेदना की झरोखों  में;  तह किए हुए पन्नो में ;  पर शायद  यही रहस्य ...
आप सभी को धन्यवाद और आप लोगों का दिल से आभार